13 April, 2015

शायरी- 1

हिंदी शायरी
चलते थे हम कभी अपनी मंजिल कि और 
बस एक साथी चाहिये था |
आज पुरे दोस्तोंका काफिला है साथ
बस, सफर थोडा और लंबा चाहिये था |

No comments:

Post a Comment