ना तु भाव देती
न हम पिछे आते
ना तु मुडके देखती
ना हमे प्यार होता
ना तु रुकती
ना हम बात करते
ना तु शरमाती
ना हम आगे बढते
ना ये सिलसिला शुरू होता
ना हम इसमे बेहते जाते
तो जिंदगी वैसेही होती
जैसे पेहले थी
ना हम प्यार मे पडते
ना बरबाद होते.
न हम पिछे आते
ना तु मुडके देखती
ना हमे प्यार होता
ना तु रुकती
ना हम बात करते
ना तु शरमाती
ना हम आगे बढते
ना ये सिलसिला शुरू होता
ना हम इसमे बेहते जाते
तो जिंदगी वैसेही होती
जैसे पेहले थी
ना हम प्यार मे पडते
ना बरबाद होते.
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